कुछ वर्षों पहले प्राय हम सभी के घरों में TV के लिए छत पर TV का antenna लगाया जाता था उस समय के और अब के समय में बहुत अंतर आ चूका है. अभी के antenna satellite Tv पर काम करते हैं जिनका की data reception सीधा satellite से ही होता है. 

Antenna को मुख्य रूप से signals को receive करने के लिए बनाया गया है. जब कोई broadcasting station कोई messages को broadcast (प्रसारण) करती है तब antenna के मदद से ही उन signals को receive कर Television पर देखा जा सकता है।

एंटीना का इतिहास

Antenna का इतिहास बहुत ही पुराना है सबसे पहला experiment Faraday ने सन 1830 में किया था जिसमें उन्होंने electricity और magnetism की coupling की थी और जिसमें उन्होंने ये show किया था की उन दोनों के बीच definitive relationship होता है. 

इसके लिए उन्होंने एक magnet को coil of wire के चरों तरफ slid किया जो की Galvanometer के साथ attach हुआ था। जब उन्होंने magnet को move किया तब पाया की एक time varying magnetic field उत्पन्न होती है और साथ ही Maxwell equations से ये भी पता चला की time varying electric field भी पैदा होती है.

इसमें coil एक loop antenna के तरह काम की और उस electromagnetic radiation को receive किया, जो की galvanometer के द्वारा detect किया गया – यह पूरी तरह से एक antenna का work होता है.

इसमें interesting बात यह है की उस समय तक electromagnetic waves के बारे में किसी को भी पता नहीं था.

Heinrich Hertz ने एक ऐसे Wireless communication system को develop किया जिसमें की उन्होंने एक electrical spark को होने के लिए बाध्य किया dipole antenna के gap के बिच. उन्होंने एक loop antenna को receiver के तरह इस्तमाल किया और वैसे ही disturbance observe की।

ये चीज़ हुई ठीक 1886 में. वहीँ 1901 में Marconi ने atlantic के across information भेजा. उन्होंने एक transmitting antenna के तोर पर बहुत सरे vertical wires को ground में attach किया.

वहीँ 1906 में Columbia University ने ऐसे ही एक Experimental Wireless Station बनाया जहाँ उन्होंने एक transmitting aerial cage का इस्तमाल किया. यह cage भी wires से ही बना था और उसे air में suspended किया गया था

इसके बादपश्चात बहुत से ऐसे ही experiments किये गए और dates के हिसाब से मैंने निचे लिखा हुआ है : –

  1. Yagi – Uda Antenna, 1920
  2. Horn Antenna, 1939
  3. Antenna Arrays, 1940
  4. Parabolic Reflectors, late 1940s में
  5. Patch Antennas, 1970
  6. PIFA, 1980

एंटीना क्या है :-

Antenna एक प्रकार का device होता है जो की electromagnetic waves transmit और receive करने के काम आता है. Electromagnetic waves को अक्सर radio waves के नाम से जाना जाता है। ज्यादातर antennas resonant devices होते हैं, जो की बहुत ही narrow frequency band में efficiently operate करते हैं. 

एक antenna को ठीक तरीके से operate करने के लिए उसे उसी radion system के frequency band के साथ tune (match) होना होगा जिसके साथ वो connected हो, यदि ऐसा नहीं हुआ तब दोनों reception और transmission बाधा प्राप्त होंगी.

एंटीना का इस्तमाल :-

Electromagnetic energy को efficiently radiate करने के लिए किया जाता है और वो भी केवल desired directions में ही. Antennas एक प्रकार से matching systems के तरह behave करते हैं electromagnetic energy के souces और space के बिच. इन antennas का मुख्य उद्देश्य है की कैसे इस matching को हमेशा optimize करे.

एंटीना की  कुछ basic properties:-

  1. Antenna की input impedance हमेशा maximum power transfer (matching) के लिए ही होता है.
  2. कुल power जो की radiate होती हैं जब antenna किसी current या voltage के द्वारा excite होते हैं उसे intensity कहा जाता है.
  3. कितनी power radiate हुई और कुल power के ratio को Radiation efficiency कहा जाता है.
  4. Field intensity सभी directions (antenna के pattern के अनुसार) के लिए होती हैं.
  5. Antenna की bandwidth या range of frequencies जिसके ऊपर ये सभी properties निर्भर करती है वो लगभग constant ही होती है.

सभी antennas का इस्तमाल energy को receive या radiate करने के लिए किया जाता है.

एंटीना कितने प्रकार के  होते हैं  :-

एंटीना मुख्य रूप से तिन broad categories में बांटा जाता है : omni-directional, directional, और semi-directional.

  1. जहाँ पर Omni-directional antennas सभी directions में propagate करते हैं.
  2. दूसरा होता है Semi-directional antennas जो की propagate करते हैं एक constricted fashion में, और इन्हें एक specific angle में define किया जाता है.
  3. तीसरा होता है Directional antennas जिसमें की एक narrow “beam” होती है जो की allow करती है highly directional propagation; इसमें जो familiar types हैं वो है parabolic और Yagi. इन सभी के unique characteristics और applications होते हैं.

Dipole Antennas या Rubber Ducky Antenna:-


ये Dipole antennas बहुत ही common type के antenna होते हैं और ये omni-directional भी होते हैं, ये radio frequency (RF) energy 360 degrees में horizontal plane में propagate करते हैं. ये devices को कुछ एकप्रकार बनाया गया है जिससे ये resonant होता है half या quarter wavelength की frequency पर जिसे की इसपर apply किया जाता है. यह antenna बहुत ही simple होता है जिसमें दो pieces of wire cut होते है proper length और encapsulated होते है.
इस configuration को commonly refer किया जाता है “rubber ducky” antenna. इस dipole का इस्तमाल बहुत से enterprise और small office, home office (SOHO) Wi-Fi deployments में किया जाता है.

Directional Antenna:-


Directional और semi-directional antennas मुख्य रूप से focus करते हैं power radiate करने के लिए narrow beams में, जिससे ये एक significant amount की gain को process में add करती हैं. Antenna की properties भी reciprocal होती हैं।
Transmitting antenna की characteristics जैसे की impedance और gain, applicable होतीं हैं एक receiving antenna के ऊपर. इसीलिए ही समान antenna का इस्तमाल दोनों sending और receiving के लिए किया जाता है.
इस highly directional parabolic antenna का gain weak signals को amplify करने के काम आता है ; यही कारण है की क्यूँ इस प्रकार की antenna को क्यूँ frequently इस्तमाल में लाया जाता है long distance links के लिए.

Patch Antenna या Microstrip Antenna:-


एक patch antenna एक प्रकार का semi-directional radiator होता है जिसमें की एक flat metal strip को ground plane के ऊपर mount किया जाता है. Antenna के back से जो Radiation निकलता है उसे effectively cut off किया जाता है ground plane के मदद से, जिससे इसकी forward directionality को enhance किया जा सके. इस प्रकार की antenna को microstrip antenna भी कहा जाता है।
यह typically rectangular shape का होता है और इसे एक plastic enclosure में enclosed किया गया होता है.
इस प्रकार के antenna को एक standard printed circuit board methods में manufacture किया जा सकता है. Patch antennas को ज्यादातर semi-directionals के हिसाब से इस्तमाल किया जाता है; वहीँ एक patch antenna की beamwidth होती है 30 से 180 degrees के बिच और एक typical gain होती है 9 dB की.

Sector Antenna:-


Sector antennas भी एक दुसरे प्रकार की semi-directional antenna होती है. Sector antennas pie-shaped (sector) की radiation pattern प्रदान करती है और इन्हें usually install किया जाता है एक sectorized array में।
इनकी Beamwidth होती हैं 60 से 180 degrees के बिच, जिसमें 120 degrees बहुत ही typical होती है. एक sectorized array में, antennas को back-to-back mount किया जाता है जिससे ये full 360-degree coverage प्रदान कर सके. Sector antennas का इस्तमाल extensively cellular communication में होता है.

Yagi Antenna:-

एक बहुत ही commonly used directional antenna होता है Yagi-Uda Array, इसे Yagi के नाम से भी जाना जाता है. इसे invent किया था Shintaro Uda और उनके colleague, Hidetsugu Yagi ने, सन 1926 में।
एक Yagi antenna बहुत से elements का इस्तमाल करता है एक directional array form करने के लिए. एक single driven element, typically a dipole, propagate करती है RF energy; elements जिन्हें की place किया जाता है immediately driven element के in front में और उसके पीछे जिससे ये RF energy को re-radiate कर सके in phase और out of phase में, साथ ही signals को enhance और retard कर सके respectively।
इन elements को parasitic elements कहा जाता है.
जो element driven element के behind में आते हैं उन्हें reflector कहा जाता है, वहीँ जो elements driven element के in front में आते हैं उन्हें directors कहा जाता है. Yagi antennas की beamwidths 30 से 80 degrees में होती है और ये well excess of 10 dBi passive gain प्रदान करती हैं.

Parabolic या Dish Antenna:-

Parabolic, या dish, antennas बहुत ही familiar type की directional antenna होती हैं. एक parabola एक symmetric curve होता है; एक parabolic reflector एक ऐसा surface होता है जो की curve को throughout a 360-degree rotation प्रदान कर सकता है — इस dish को technically एक paraboloid कहा जाता है. एक parabolic reflector की एक high degree of directivity होती है और इनकी ability होती है focus करने की RF energy को एक beam में, जैसे की एक flashlight में होता है.
Parabolic antennas की बहुत ही narrow beamwidth होती है, usually ये 25 degrees से ज्यादा नहीं होती है. Gain depend करता है diameter और frequency के ऊपर; जैसे की 2.4 GHz में, एक 1 meter dish करीब 26 dBi की gain प्रदान करता है, वहीँ एक 10-meter antenna 46 dBi की gain प्रदान करता है उसी समान frequency में. इस antenna को “fed” किया जाता है एक half-wave dipole antenna या एक feed horn से।
Parabolic antennas का इस्तमाल long distance communication links के लिए buildings के बिच या बड़े large geographic areas में होता है. बहुत ही large parabolic antennas का इस्तमाल radio astronomy के लिए होता है और ये gain प्रदान कर सकता है 10 million या about 70 dBi की.

Grid Antenna:-

Dish की एक variation को grid antenna कहा जाता है. चूँकि एक parabolic reflector बड़ी ही आसानी से moderate wind conditions में भी अपने जगह से हील जाते हैं और उनकी alignment deform हो जाती हैं. इसलिए इस परेशानी को prevent करने के लिए reflector को perforated किया जाता है एक grid में।
Grid elements की spacing frequency dependent होती हैं; और ये inversely proportional होता है frequency के. इसकी Gain और beamwidth similar होता है parabolic antenna के जैसे ही.

एंटीना कैसे काम करता है :-

इसके लिए आप शायद microphones का इस्तमाल करें जो की आपके आवाज को capture करे और उन्हें electrical energy में तब्दील करे. आप उस electricity को ले सकते हैं और उसके बाद उसे किसी tall metal antenna तक बहार भेजने के लिए ले जा सकते हैं.

जहाँ ये antenna इसे बहुत बार boost कर देगा जिससे ये ज्यादा दूर तक travel कर सकेगा, जितना ज्यादा आप इस signal को boost करेंगे उतनी ही ज्यादा ये दुरी तय कर पायेगा. चूँकि ये electrons (tiny particles जो होते हैं atoms के भीतर) electric current में back और forth movement करते हैं antenna के along में, इससे ये एक invisible electromagnetic radiation पैदा करता है जो की radio waves के form में होता है.

ये waves, जो की partly electric और partly magnetic होता है, ये light की speed से travel करती है, और ये उसके साथ radio program को भी लेकर चलती है. जब कोई आदमी अपने घर में radio को चालू करता है जो की उस station से kilometers दूर होता है तब क्या होता है ?

ये जो radio waves हैं जिन्हें की आप metal antenna के द्वारा भेजे हैं और जो की electrons को wiggle back और forth करने में बाध्य करता है. ये एक electric current generate करता है — ये signal को आपके घर में स्तिथ radio के electronic components (receiver) करते हैं और उस signal को फिर से sound में तबील करते हैं जो की आपको सुनाई पड़ता है.

Transmitter और receiver antennas के design बहुत ही similar होते हैं. जहाँ signal को send करने के लिए जो antennas का इस्तमाल होता है Radio या TV station में वो बहुत ही बड़े बड़े और भारीभरकम होते हैं वहीँ receivers जैसे की आप और हम जो घरों में इस्तमाल करते हैं radion channels या tv channels देखने के लिए ये बहुत ही छोटे होते हैं senders के तुलना में. लेकिन दोनों के काम एक ही होते हैं.

Waves हमेशा zap नहीं कर रहे होते हैं air में जब उन्हें transmitter से receiver तक भेजा जाता है. ये depend करता है की हम किस प्रकार की waves send कर रहे हैं, उनकी frequency कैसी है, हम कितनी दूर उसे send करना चाहते हैं, और इन waves का हम क्या करना चाहते हैं इत्यादि :- 

मुख्य रूप से तीन अलग अलग प्रकार के ways हैं  जिससे waves travel करते हैं :-

  1. सबसे पहला है “Line of Sight”, इसे बहुत वर्षों पहले इस्तमाल में लाया जाता था. इसमें waves को एक single direction में भेजा जाता था जैसे की light की एक beam. इनका इस्तमाल old-fashioned long-distance telephone networks में होता था, जिसमें microwaves का इस्तमाल calls को carry करने के लिए किया जाता था बड़े बड़े high communications towers के बिच. लेकिन fiber-optic cables के इस्तमाल से ये technology पूरी तरह से बंद हो गयी.
  2.  फिर होता है Ground Wave. ये waves Earth’s के curvature के चारों तरफ travel कर सकता है. AM (medium-wave) radio इस तरह से travel करता है short-to-moderate distances के लिए. इससे ये पता चलता है की क्यूँ हमें radio signals तब भी सुनाई पड़ती है जब हमें कोई radio transmitter हमारे आखों के सामने नज़र भी नहीं आने पर भी.
  3. आखिर में आता है “Ionospheric Wave”. इसमें waves को आसमान में शूट किया जाता है (भेजा जाता है), और वो ionosphere से reflect होकर bounce off होता है, और फिर ground में फिर से पहुँच जाता है. ये ionosphere एक electrically charged part होते हैं Earth’s के upper atmosphere में जो की waves को reflect करते हैं। लेकिन ये रात में ज्यादा अच्छे से काम करते हैं क्यूंकि उस समय ये ionosphere सभी waves को reflect कर देते हैं वहीँ दिन में ये कुछ waves को absorb भी कर लेते हैं. Ionosphere के इस property के वजह से इसे Sky Mirror भी कहा जाता है और इससे radio waves को बहुत लम्बे distances तक भेजा जा सकता है.

Antennas के कुछ महत्वपूर्ण विशेषता :- 

Directionality :-

Dipoles बहुत ही ज्यादा directional होते हैं: इसलिए वो केवल उन्ही signals को pick कर सकते हैं जो की उनके तरफ right angles में आते हैं. इसलिए एक TV antenna को आपके घर में ठीक से mount करना बहुत ही ज्यादा आवस्यक होता है वो भी सही तरीके से और सही direction में. माना की highly directional antennas दिखने में थोडा अजीब लगते हैं और उन्हें install करना भी थोडा कठिन ह, लेकिन अगर उन्हें properly aligned किया गया तब उसमें भी बहुत ही कम interference होते हैं और फालतू के signals नहीं आते हैं.

Gain :-

किसी antenna का gain का मतलब है की वो signal को कितना ज्यादा boost कर सकता है. कई बार आप लोगों ने देखा होगा की TVs अक्सर कुछ कुछ ख़राब signal को पकड़ लेती है बिना किसी antenna के ही.

ऐसा इसलिए क्यूंकि इसकी metal case और दुसरे components एक basic antenna के तरह काम करते हैं, और किसी particular direction में focus नहीं होते हैं, और इसलिए ये इसके पास के signals को पकड़ लेते हैं. एक proper directional antenna के इस्तमाल से आप बेहतर gain प्राप्त कर सकते हैं.

Gain को decibels (dB) में measure किया जाता है. एक बात तो आज समझ ही लीजिये की जितना ज्यादा gain होगा उतना ही अच्छा reception होगा. इसलिए outdoor antenna बेहतर काम करते हैं indoor की तुलना में क्यूंकि इनकी gain ज्यादा होती है.

Bandwidth :-

किसी antenna की bandwidth उसके range of frequencies (या wavelengths, अगर आप इसे prefer करते हैं) जिसके ऊपर ये effectively काम करती हैं. जितनी ज्यादा broader होती है bandwidth, उतना ही greater उसका range भी होता है और जिससे वो उतनी ही ज्यादा अलग अलग radio waves को pick up कर सकता है।

ये television के लिए ज्यादा helpful होती है, जहाँ आप बहुत ही channels को pick कर सकते हैं. वहीँ Mobile, Radio में narrow bandwith होती है.

Aperture:-

Aperture को effective aperture of the antenna भी कहा जाता है और ये actively participate करता है transmission और reception में electromagnetic waves की. जो power antenna के द्वारा receive किया जाता है वो सभी एक ही जगह में associated होते हैं collective area के साथ. इसी collected area को ही effective aperture कहा जाता है किसी antenna का.

Polarization:-

एक electromagnetic wave जिसे की launch किया गया एक antenna से उसे polarized किया जा सकता है vertically और horizontally दोनों direction में. यदि कोई wave polarized होती है vertical direction में, तब E vector vertical होती है और इसे एक vertical antenna की जरुरत होती है।

वहीँ अगर vector E horizontal होती है, तब इसे एक horizontal antenna की जरुरत होती है launch करने के लिए. कभी कभी circular polarization भी इस्तमाल किया जाता है, ये दोनों horizontal और vertical ways का combination होता है.

Effective Length:-

Effective length एक parameter होता है antennas का जो की characterizes करती है antenna की efficiency को की कैसे antennas transmit और receive करे electromagnetic waves को. Effective length को दोनों transmitting और receiving antennas के लिए define किया जाता है।

EMF receiver input में to intensity electric field की जो की antenna में पैदा होती है की ratio को ही receivers’ effective length कहा जाता है. Transmitter की effective length उसे कहते हैं जिसमें conductor की free space की length और current distribution across its length जब generate करती है समान field intensity किसी भी direction of radiation में.

Effective Length = (Area under non-uniform current distrbution)/(Area under uniform current distribution)

Polar diagram:-

ये बहुत ही significant property होती है किसी antenna में जिसे की radiation pattern या polar diagram कहा जाता है. Transmitting antenna के case में, एक plot होता है जो की discuss करता है power field के strength को जो की antenna के द्वारा radiate होता है various angular directions में.

एक plot को दोनों vertical और horizontal planes के लिए obtain किया जाता है – और इन्हें vertical और horizontal patterns कहा जाता है, respectively.

Antennas के Advantages उनके Types के अनुसार कुछ इस प्रकार हैं :-

➨ Dipole Antenna: ये सस्ते होते हैं और अच्छा gain exhibit करते हैं.

➨ Whip Antenna: ये छोटे size के होने से भी good performance deliver करते हैं dipole antenna की तुलना में.

➨ Loop Antenna: ये cheap होते हैं और आसानी से de-tuned नहीं होते हैं hand movements से.

➨ Spiral Antenna: इनकी size whip antenna के मुकाबले कम होती है. इनका इस्तमाल wideband applications के लिए ज्यादा होता है.

➨ Helical Antenna: ये बहुत ही ज्यादा directive antenna होती है और ये अच्छे मात्रा की gain प्रदान करती हैं.

➨ Microstrip Antenna: ये बहुत ही simple और chip antenna होती हैं. इनका इस्तमाल smartphone में किया जाता है क्यूंकि इनकी structure बहुत ही पतली होती है.

➨ Ceramic Antenna: ये बहुत ही छोटी size की होती हैं और ये environments factors से ज्यादा affected नहीं होते हैं. इनमें separate components का इस्तमाल होता है.

➨ Slot Antenna: इनकी design बहुत ही simple होती है और ये छोटे size के होते हैं. ये ज्यादा robust nature के होते हैं.

Antennas के DisAdvantages उनके Types के अनुसार कुछ इस प्रकार हैं:-

➨ Dipole Antenna: ये lower frequency में large size exhibit करते हैं.

➨ Whip Antenna: ये बहुत ही ज्यादा costly होते हैं. इनमें बेहतर ground plane की जरुरत होती है अच्छी performance पाने के लिए.

➨ Loop Antenna: इनकी बहुत ही poor gain होती है, इन्हें tune करना difficult होता है और ये बहुत ही narrowband होते हैं.

➨ Spiral Antenna: इसकी जो major disadvantage वो ये की इन type की antenna को feed करना बहुत ही difficult होता है.

➨ Helical Antenna: ये size में बहुत ही bulky होते हैं. उन्हें बड़े ही आसानी से de-tuned किया जा सकता है nearby objects से. इसलिए इसमें ज्यादा disturbances होती हैं.

➨ Microstrip Antenna: ये बहुत ही बड़े size के होते हैं lower frequency में. PCB design इनकी performance और tuning को affect कर सकता है. इसे less than 433 MHz के लिए design करना बहुत ही difficult होता है.

➨ Ceramic Antenna: ये बहुत ही ज्यादा cost के होते हैं. साथ ही ये medium performance ही deliver करते हैं. ये PCB size और ground plane shape के matching function होते हैं.

➨ Slot Antenna: इनकी size बहुत ही बड़ी होती है lower frequency में और इसलिए इन्हें बहुत ही difficult होता है design करने के लिए lower frequencies के लिए जो की less than 433 MHz होती हैं.

Antenna के Application क्या हैं ?

Antennas के बहुत से अलग अलग application होते हैं जो की Antenna के types के हिसाब से अलग अलग होता है और उनका application भी अलग होता है. जो कुछ इस प्रकार हैं :-

  • इन्हें मुख्य रूप से Radio broadcasting के लिए इस्तमाल में लाया जाता है.
  • जहाजों के sailors के द्वारा Navigation systems में भी इस्तमाल होता है.
  • Radio transmission और reception के लिए.
  • इसका इस्तमाल GPS में दिशा देखने के लिए भी होता है.
  • Satellite communication के लिए.
  • Radio frequency identification के लिए भी इन्हें इस्तमाल किया जाता है.

Antennas का भविष्य  क्या है :-

antennas को generally एक antiquated technology माना जाता है, लेकिन telecommunications companies हमेशा इसी खोज में हैं की कैसे वो इन antennas और ज्यादा innovate कर सकें जिससे इन्हें next generation of electronics में इस्तमाल किया जा सकें। अभी की बात करें तब product engineers अभी 3D printing और refined manufacturing techniques का इस्तमाल कर रहे हैं antennas को smaller, lighter, और ज्यादा powerful बनाने के लिए पहले से.

Cell phone companies तो आगे 5G technology को लाने के ऊपर काम कर रही हैं, जो की small cell towers के ज़माने में एक बड़ा revolution लाने वाला है. वैसे ही आगे हमें ऐसे और भी technologies देखने को मिल सकती हैं जिनके इस्तमाल से Antennas की पूरी काया ही बदली जा सकती है। लेकिन एक बात तो है की चाहे कितनी भी innovations क्यूँ न हो जाये, traditional cell phone towers और larger antennas का हमारे लिए और हमारे communication system को shape करने के बारे में एक बहुत ही महत्वपूर्ण role रहा है और आने वाले समय में भी ये रहेगा.

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