इन्कलाब जिंदाबाद:-

किसने दिया: भगत सिंह

कब दिया: वर्ष 1929 में

रचयिता: उर्दू भाषा के कवि “हसरत मोहानी” इस नारे के असली जन्म दाता हैं यह नारा उन्ही की कलम द्वारा वर्ष 1921 में लिखा गया था

अर्थ: इन्कलाब जिंदाबाद का अर्थ होता है “क्रांति सदा ज़िंदा रहे... या क्रांति अमर रहे...” इस अर्थ को इस प्रकार समझने के प्रयास कीजिए... इन्कलाब (अर्थात: क्रांति, विद्रोह) तथा जिंदाबाद (अर्थात: सदा जीवित रहने वाला, अमर रहने वाला) इस प्रकार इन्कलाब जिंदाबाद का सामूहिक अर्थ हुआ “क्रांति अमर रहे...”

लक्ष्य: इस नारे का मुख्य लक्ष्य क्रांतिकारियों तथा भारत की आवाम में आजादी की आग को तब तक जलाए रखना था जब तक भारत को गुलामी की ज़ंजीरो से आज़ाद ना कर दिया जाए तथा वक्त के साथ साथ यह नारा हर क्रांतिकारी की जुबां पर गूंजने लगा था


दिल्ली चलो:-

किसने दिया: सुभाष चन्द्र बोस

कब दिया: 1942

लक्ष्य: सुभाष चन्द्र बोस का मानना था कि ब्रिटिश हकूमत स्वयं से कभी भी भारत को आज़ाद नही करेगी इसके लिए ब्रिटिश हकूमत से विद्रोह कर लड़ना पड़ेगा इसी कारण उन्होंने लगभग 40 हजार सैनिकों वाली इस सेना का नेतृत्व किया तथा दिल्ली पर अधिक्रमण तथा ब्रिटिश सरकार को भारत से निकाल बाहर करने के उद्देश्य से दिल्ली चलो का नारा दिया


करो या मरो:-

किसने दिया: महात्मा गाँधी

कब दिया: वर्ष 1942 में

लक्ष्य: “करो या मरो” नारे के द्वारा गाँधी जी ने गुलामी की ज़िन्दगी जी रही भारत की आम जनता को एकजुट होकर लड़ने के लिए प्रात्साहित किया इस नारे का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों का सिरे से विरोध करना था इस नारे से देश की जनता को एकजुट होने तथा आज़ादी के लिए हर संभव प्रयास करने की प्रेरणा मिली


जय हिन्द:-

किसने दिया: सुभाष चन्द्र बोस

कब दिया: 1941

सर्वप्रथम किसने दिया: चेम्बाकरमण पिल्लई

(नोट: वर्ष 1933 में पिल्लई को जब सुभाष चन्द्र बोस से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ उस समय उन्होंने “जय हिन्द” कह कर नेता जी का अभिवादन किया तथा यह शब्द नेता जी को प्रभावित कर गए तथा ये ही शब्द बाद में आज़ाद हिन्द फ़ौज के युद्ध घोष के रूप में जाने गए)

अर्थ: “जय हिन्द” का अर्थ है “भारत की विजय” आइए इस अर्थ को विस्तार से समझने के प्रयास करें जय एक हिंदी शब्द है जिसका अर्थ होता है (जीत, विजय) इसी प्रकार हिन्द शब्द (भारत, हिन्दुस्तान, इंडिया) का एक अन्य नाम है इसी प्रकार “जय हिन्द” का सामूहिक अर्थ “भारत की विजय” होता है

लक्ष्य: इस नारे का लक्ष्य आज़ाद हिन्द फ़ौज के सैनिकों में देश के प्रति एक जूनून की भावना को भरना था तथा जल्द ही यह नारा भारतीय जनता में भी लोकप्रिय हो गया


वन्दे मातरम्:-

किसने दिया: बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय

कब दिया: 1882 (रचना वर्ष)

राष्ट्रगीत का दर्जा कब प्राप्त हुआ: 1950

अर्थ: “वन्दे मातरम्” दो शब्दों का सामजस्य है प्रथम शब्द है वन्दे (वंदना करना) तथा मातरम् (माता) यहाँ माता से तात्पर्य (भारत माता) मातृभूमि से है इस प्रकार इस नारे का सामूहिक अर्थ है “भारत माता की वंदना करता हूँ...” इस अर्थ को समझते हुए ध्यान देने योग्य बात ये है कि यह गीत मूल रूप से बांग्ला भाषा में लिखा गया है तथा बांग्ला भाषा “व” अक्षर से रहित है इसी कारण इस गीत का मूल नाम या उचारण “बन्दे मातरम्” होता है परन्तु संस्कृत भाषा में अर्थानुसार “वन्दे मातरम्” को उचित मानकर लिया गया है

लक्ष्य: पूरे देश के साथ साथ बंगाल में चल रहे स्वाधीनता आन्दोलन में यह नारा प्रयोग किया जाने लगा तथा धीरे धीरे क्रांतिकारियों ने इसे दोहराना शुरू कर दिया समय के साथ साथ वन्दे मातरम् नारा आत्याधिक लोकप्रिय होता गया यही कारण था कि एक समय ब्रिटिश सरकार को इस पर प्रतिबन्ध लगाने के बारे में सोचना पड़ा था इस नारे का मूल लक्ष्य भारत माता की स्वाधीनता के प्रति अपनी भावना को दर्शाना था


जय जवान जय किसान:-

किसने दिया: लाल बहादुर शास्त्री

कब दिया: 1965

अर्थ: “जय जवान जय किसान” नारा जवानों की शत्रुओं पर विजय तथा किसानों की भूख व आर्थिक व्यवस्था पर विजय के लिए आह्वान करता है ये दोनों ही भारत जैसे किसी भी विकासशील देश की रीढ़ की हड्डी माने जाते हैं

लक्ष्य: जब भारत से अलग बने पकिस्तान ने भारत के साथ युद्ध की ठान ली उस समय भारत बहुत ही बुरी आर्थिक व्यवस्था से गुजर रहा था दूसरी तरफ पकिस्तान सरहदों पर वार कर रहा था इस स्थिति से निपटने के लिए भारत की सरहद पर लड़ रहे जवान तथा खेत में अपना पसीना बहा रहे किसान दोनों को प्रोत्साहित करने हेतु शास्त्री ने उनके सम्मान में जय जवान जय किसान का नारा दिया जो कि सच्चाई से आँख मिलाता प्रतीत हो रहा था इससे पूरे देश में एक जोश की लहर दौड़ गई तथा सार्थक परिणाम देखने को मिले


अंग्रेजो भारत छोड़ो:-

किसने दिया: महात्मा गाँधी (मोहन दास करमचंद गांधी)

कब दिया: 1942

अर्थ: “भारत छोड़ो” नारे का सीधा शाब्दिक अर्थ ब्रिटिश सरकार को भारत से बाहर कर स्वयं सत्ता पर काबिज होने का था इस नारे को “अंग्रेजों भारत छोड़ो” नारे के रूप में अधिक सरलता से समझा जाता है

लक्ष्य: लगभग 200 साल से राज कर रही ब्रिटिश सरकार जो अपने पाँव पूरे भारत में पसार चुकी थी, की गहरी पकड़ को ख़त्म करके तथा देश की आम जनता को गुलामी की जंजीरों से आज़ाद करवाना ही इस नारे का एक मात्र लक्ष्य था इसी कारण यह नारा आर पार के युद्ध जैसा प्रतीत हो रहा था फल स्वरुप 5 वर्ष की जदोज़हद के बाद वर्ष 1947 में देश ने आज़ादी में अपनी पहली सांस ली


मरो नही मारो:-

किसने दिया: लाल बहादुर शास्त्री

कब दिया: 1942

अर्थ: एक तरफ गाँधीवादी सोचनुसार अहिंसा के रास्ते पर चलकर शांति पूर्वक प्रदर्शन से ब्रिटिश सरकार से आज़ादी लिए जाने का रास्ता था परन्तु अंग्रेजों ने शायद इसे आवाम का डर समझ लिया था इसी कारण साफ़ अर्थों में अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों तथा हिंसा के खिलाफ एक जुट होकर लड़ना आवश्यक था तत्पश्चात स्थिति को भांपते हुए शास्त्री जी ने चतुराई पूर्वक “मरो नही मारो” का नारा दिया जो एक क्रान्ति के जैसा साबित हुआ

लक्ष्य: सहन करने की सोच का अंत कर, बुरे के साथ बुरा बर्ताव करना ब्रिटिश सरकार से आज़ादी मांगनेकी बजाए आज़ादी छीनने की भावना पूरे देश की जनता में भरने हेतु यह नारा दिया गया था हालाँकि इसके परिणाम हिंसक होने तय थे परन्तु भारत की जनता को किसी भी कीमत पर आज़ादी चाहिए थी यही कारण था कि जनता का रोष अब सामने आ रहा था


स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है:-

किसने दिया: बाल गंगाधर तिलक

कब दिया: 1890

अर्थ: स्वराज (अर्थात स्वंय का राज या शासन) जन्मसिद्ध (अर्थात जन्म से मिलने वाला) इसका सामूहिक अर्थ होता है “भारत पर सत्ता या शासन पर भारत में पैदा होने वाले भारतियों का ही एकाधिकार है...”

लक्ष्य: ब्रिटिश हकूमत को भारत से उखाड़ फेंककर भारतीयों पर भारतियों की सत्ता काबिज करना ही इस नारे का एकमात्र उद्देश्य था


मारो फिरंगी को:-

किसने दिया: मंगल पांडे

कब दिया: 1857

अर्थ: फिरंगी (अर्थात अंग्रेज या ब्रिटिश जो उस समय देश को गुलाम बनाए हुए थे, को क्रांतिकारियों व भारतियों द्वारा फिरंगी नाम से पुकारा जाता था)

लक्ष्य: गुलाम जनता तथा सैनिकों के हृदय में क्रांति की जल रही आग को धधकाने के लिए व लड़कर आज़ादी लेने की इच्छा को दर्शाने के लिए यह नारा मंगल पांडे द्वारा गुंजाया गया था


सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा:-

किसने दिया: मोहम्मद इकबाल

कब दिया: 1905

लक्ष्य: हिन्दुस्तान की तारीफ़ में अल्फाज गाने तथा आवाम में एकता/ भाई चारे की भावना को बढाना ही इस लोकप्रिय ग़ज़ल का उद्देश्य था जो कि पूर्ण भी हुआ


साइमन कमीशन वापस जाओ:-

किसने दिया: लाला लाजपत राय

कब दिया: 1927

लक्ष्य: साइमन कमीशन का विरोध करना तथा इसके द्वारा भारत में लागू की जा रही दमनकारी नीतियों का अंत ही इस नारे का एकमात्र लक्ष्य था


कर मत दो:-

किसने दिया: सरदार वल्लभ भाई पटेल

लक्ष्य: किसान, जो कि सूखे के कारण कर भुगतान करने में असमर्थ थे को कर ना देने के लिए प्रेरित करना व ब्रिटिश सरकार को यह आग्रह मानने पर विवश करना


पूर्ण स्वराज:-

किसने दिया: जवाहरलाल नेहरू

कब दिया: 1929

अर्थ: पूर्ण स्वराज अर्थात भारत की सत्ता में भारतीयों का शत प्रतिशत योगदान तथा ब्रिटिश सरकार का शून्य हस्तक्षेप (भारतीयों द्वारा भारतियों पर भारतियों का शासन) 

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